खेती योग्य कृषि भूमि

छत्तीसगढ़  राज्य बनने के बाद से खेती योग्य कृषि भूमि का उपयोग आवासीय और औद्योगिक  उपयोग होने से कीमतों में जम कर उछाल आया है.  जैसे जैसे शहरीकरण बढता जा रहा है वैसे  महानगरो और छोटे बड़े शहरो पर आबादी का  बोझ बढता रहा है . छत्तीसगढ़ का विकास पिछले 10 सालो से निरंतर बढता जा रहा है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग- भिलाई  , रायपुर , बिलासपुर , रायगढ़ में विकास जमकर देखने को मिला है .और इन शहरो का दायरा भी बढ़ा है . स्वाभविक है की इन शहरो के दायरे बड़ने से यहाँ की प्रॉपर्टी की  कीमतों में भी उछाल  आया है . 
      बिलासपुर में भी शहर का दायरा बड़ा है . बिलासपुर से लगे आसपास के ग्रामीण इलाको में भी प्रॉपर्टी के दाम भी 400 से 800 प्रतिशत बढे  है. कभी उस्लापुर में जो जमीने या खेती की जमीन १ लाख रूपये एकड मिलजाती थी वो अब 20 से 30 लाख रूपये  में भी नहीं मिल रही है . सेंदरी कछार में जो कभी ५० हजार रूपये एकड की जमीन अब 8 से 10 लाख रूपये एकड हो गई है . शहर से लगी हुई जमीने अब किसानो से दुर होती जा रही है , और किसान भी जमीने बेच कर  शहर से दुर होते चले जा रहे है . सिर्फ १० सालो में ऐसा हुआ है    
छत्तीसगढ़ बनने के बाद से विकास की तस्वीर सामने आई है उस से प्रभावित हो कर बहुत से लोग जो बहरी राज्यों से आकर यहाँ बसे और जो उन्हों ने यहाँ पर अँधा धुन  जमीने खरीदी है उस से यहाँ प्रॉपर्टी की कीमते बढती जा रही है .
            एक कारण यह भी है की  पंजाब, हरियाणा की तुलना में छत्तीसगढ़ में खेती योग्य कृषि भूमि के सस्ते दामों पर उपलब्ध होने से वहां के किसान भी अपनी जमीनों को अच्छे दामो में बेचकर यहाँ  खेती योग्य कृषि भूमि पर अपना निवेश किये है और कर रहे है . इसके कारण खेती की भूमि के दामो  में एकाएक पिछले 8  से 10  सालों में कीमतों में उछाल आया हैं .
एक कारण यह भी है व्यापारी हो या अधिकारी खेती योग्य कृषि भूमि पर निवेश ईस लिए भी कर रहा है क्योकि  की  कृषि से होने वाली आय कर मुक्त है . इसी वजह से  बड़ी मात्रा में खेती की भूमि का क्रय-विक्रय हो रहा हैं . जिससे कृषि भूमि के भाव आसमान छूने लगे हैं .
एक कारण यह भी है की वर्तमान में अनाज की कीमतों में जो हुई बढ़ोतरी दर्ज हुई है उस के कारण किसान अपनी कृषि भूमि बढ़ाना चाहते हैं और ईस वजह से भी खेती योग्य कृषि भूमि की मांग बढती जा रही है .
एक कारण यह भी है की छत्तीसगढ़ शासन ने जो औद्योगिक  उपयोग के लिए कृषि भूमि या  निजी भूमि को औद्योगिक संस्थानों की स्थापना के लिए निजी भूमि अधिग्रहित किए जाने पर पड़त भूमि के लिए छह लाख रूपए प्रति एकड़, एक फसली असिंचित भूमि के लिए आठ लाख रूपए प्रति एकड़ और दो फसली सिंचित भूमि के लिए दस लाख रूपए प्रति एकड़ मुआवजा का निर्धारण किया गया है निजी भूमि अधिग्रहण में नवीन दरों के अनुरूप किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है इन कारणों से भी कृषि भूमि के दाम बड़ने लगे है .
मुझे उपरोक्त कारण नजर आते है जो की खेती योग्य कृषि भूमि की कीमतों को बढाने की प्रमुख वजह है 

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