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Showing posts from February, 2011

प्रॉपर्टी पर निवेश का आधार

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मैंने प्रॉपर्टी पर निवेश करने वाले लोगो को  अक्सर देखा है कि लोग प्रॉपर्टी की कीमतें कम होने या ज्यादा लगने के कारण  लम्बे समय तक  प्रॉपर्टी नहीं खरीदते, वैसे भी  रीयल एस्टेट सेक्टर में प्रॉपर्टी दाम आसानी से गिरते नहीं हैं, इसलिए आपका यह इन्तजार नुकसान का कारण भी हो सकता है . ऐसा भी हो सकता है कि जब आप प्रॉपर्टी में वास्तव में निवेश करने का मन बना चुके हो तब आपने जो पूर्व में प्रॉपर्टी देखी हो वह वर्तमान में दुगनी हो गई हो  और वहा की प्रॉपर्टी के  दाम आपकी पहुंच से बाहर निकल चुके हों .  इस स्थिति से बचने के लिए जितनी जल्दी हो सके, प्रॉपर्टी खरीदने के अपने फैसले पर अमल करना चाहिए   प्रॉपर्टी खरीदने से पहले मार्केट का अनुमान लगाने के बाद यह तय करें कि प्रॉपर्टी पर निवेश करने  को लेकर आपके परिवार की जरूरतें क्या हैं? प्रॉपर्टी पर निवेश क्यों करना है . प्रॉपर्टी पर कितने दिनों के लिए निवेश करना है . किस तरह की प्रॉपर्टी पर निवेश करना है आवासीय , व्यावसायिक , खेती योग्य जमीन या कमर्शियल स्पेस  कुछ भी हो प्रॉपर्टी खरीदने से पहले निवेश का आधार तय करना जरुरी है . ऐसा नहीं होने से आप की जरुरत

प्रॉपर्टी का वैल्यू इन यूज'

Value-in-use    प्रॉपर्टी का   लोकेशन ही प्रॉपर्टी की  कीमत तय करने का मुख्य आधार होता  है  इसके बाद, प्रॉपर्टी की उम्र, कंस्ट्रक्शन की उम्र  प्रॉपर्टी से होने वाली आय   और भी कुछ  चीजों पर गौर किया जाता है  अंत में, ये सब बातें मिलकर प्रॉपर्टी की वास्तविक कीमत निर्धारित करती हैं निर्धारण के इस तरीके को प्रॉपर्टी का वैल्यूएशन कहते हैं . इस कड़ी में "इंटरनैशनल वैल्यूएशन स्टैंडर्ड्स कमिटी " के आठ इडिशन प्रकाशित कर चुकी है। दुनियाभर के प्रफेशनल संस्थान इन स्टैंडर्ड्स को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर एक जैसा अप्रेज़ल सिस्टम लागू हो सके   इस बारे में मैंने आपने ब्लॉग में काफी कुछ लिखा है .  रिअल एस्टेट अप्रेज़ल के विभिन्न तरीकों के आधार पर प्रॉपर्टी की वैल्यू की कई रूपों में गणना की जा सकती है इस ब्लॉग में मै   Value-in-use को देसी भाषा में कुछ उदाहरण सहित लिखने का प्रयास किया है  "इंटरनैशनल वैल्यूएशन स्टैंडर्ड्स कमिटी " के अनुसार   प्रॉपर्टी का    Value-in-use   अगर कोई प्रॉपर्टी किसी विशेष उपभोक्ता के लिए विशेष प्रयोजन के तहत रकम उपलब्ध करा
अब बजट हर आम आदमी से जुड़ता जा रहा है . इसलिए जरुरी है की बजट को जानना की क्या क्या है हमारे बजट  में बजट से जुडी हुई कुछ मुख्य बातो का संकलन करने का प्रयास किया है इस में  श्री मुकेश अग्रवाल जी का भी सहयोग रहा है  बजट से जुडी हुई कुछ मुख्य बाते  बजट 2011 - मुख्य बातें शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में अधिक व्यय पर ज़ोर  समाज कल्याण के लिए 58 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान  बजट 2011-12 की कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं: कृषि-ग्रामीण क्षेत्र: कृषि क्षेत्र में कर्ज़ के लिए 3.75 लाख करोड़ से बढ़ाकर 4.75 लाख करोड़ रखे गए हैं. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के बजट को बढ़ाकर 7,860 करोड़ का किया जा रहा है. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के लिए चरणबद्ध तरीके से 30 अरब रुपए दिए जाएँगे. नई फ़रटीलाइज़र नीति लाई जाएगी. ग्रामीण मूलभूत ढांचे के लिए 180 अरब रुपए का प्रावधान रखा गया है. ग्रामीण इलाकों में घरों के लिए मिलनेवाले कर्ज़ कोष को अब 2000 से 3000 करोड़ रुपए किया गया. देश के पूर्वी हिस्सों में दूसरी हरित क्रांति के लिए 400 करोड़ की वृद्धि. ग़रीबों के लिए: ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगो

खेती योग्य कृषि भूमि

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छत्तीसगढ़  राज्य बनने के बाद से  खेती योग्य कृषि भूमि का उपयोग आवासीय और  औद्योगिक   उपयोग होने से कीमतों में जम कर उछाल आया है.   जैसे जैसे शहरीकरण बढता जा रहा है वैसे  महानगरो और छोटे बड़े शहरो पर आबादी का  बोझ बढता रहा है . छत्तीसगढ़ का विकास पिछले 10 सालो से निरंतर बढता जा रहा है. छत्तीसगढ़ के दुर्ग- भिलाई  , रायपुर , बिलासपुर , रायगढ़ में विकास जमकर देखने को मिला है .और इन शहरो का दायरा भी बढ़ा है . स्वाभविक है की इन शहरो के दायरे बड़ने से यहाँ की प्रॉपर्टी की  कीमतों में भी उछाल  आया है .        बिलासपुर में भी शहर का दायरा बड़ा है . बिलासपुर से लगे आसपास के ग्रामीण इलाको में भी प्रॉपर्टी के दाम भी 400 से 800 प्रतिशत बढे  है. कभी उस्लापुर में जो जमीने या खेती की जमीन १ लाख रूपये एकड मिलजाती थी वो अब 20 से 30 लाख रूपये  में भी नहीं मिल रही है . सेंदरी कछार में जो कभी ५० हजार रूपये एकड की जमीन अब 8 से 10 लाख रूपये एकड हो गई है . शहर से लगी हुई जमीने अब किसानो से दुर होती जा रही है , और किसान भी जमीने बेच कर  शहर से दुर होते चले जा रहे है . सिर्फ १० सालो में ऐसा हुआ है     छत्ती