पेट्रोल की बढती हुई कीमते भी प्रॉपर्टी मार्केट पर असर डाल सकती है

पेट्रोल की बढती हुई कीमते भी प्रॉपर्टी की रफ़्तार को धीमा कर सकती है ख़ास कर उन स्थनों पर जहा पर सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट सिसटम आसानी से सुलभ नहीं है  पेट्रोल के महंगे होने से शहर के केंद्र से दूर के आवासीय , व्यवसायिक  प्रोजेक्ट पर निवेश करने के पहले निवेशक सालाना पेट्रोल के खर्च को भी नजर अंदाज नहीं करेंगे यह कुछ लाइने मैंने फेसबुक पर लिखी तो मुझे लगा की इस पर विस्तार से लिखना चाहिए  पेश है एक पोस्ट 
पेट्रोल की बढती  हुई कीमते  भी प्रोपर्टी मार्केट पर असर डाल सकती है . 

1. शहर से दूर की कालोनियों में निवेश करने से पहले निवेशक रोजाना के पेट्रोल के खर्च का हिसाब लगाये तो उन्हें   शहर से दुरी कुछ ज्यादा महंगी लगेगी 
2. शहर से दूर की कालोनियों के समीप अगर मार्केट नहीं हुआ तो भी आप का मासिक बजट बिगड़ सकता है निवेशक इस बात का भी ध्यान  रखेगे . क्योकि बड़ी और छोटी कालोनियों के समीप के मार्केट या माल से सभी प्रकार की खरीदारी नहीं हो सकती है . किसी भी शहर के प्रमुख मार्केट से खरीदारी होना ही है क्योकि यह वस्तुए दुसरे जगहों की अपेछा सस्ती मिलती है .
3. इन दोनों सुविधाओ का उपयोग हर कोई करता ही है --रेल्वे स्टेशन और बस स्टैंड आप के आवासीय स्थान से अधिक दुरी होने से पेट्रोल समय और दुरी होने से आने जाने का किराया अधिक लगेगा  
4. स्वास्थ सेवाए आप की आवासीय कालोनियों से दूर होने से भी पेट्रोल पर अधिक भार पड़ेगा ..
5 . बच्चो के स्कूल और कालेज दूर होने से भी सालान अधिक भार पड़ेगा .क्योकि पुराने जितने भी प्रमुख शिक्षा के संस्थान है वो शहर के भीतर ही है 
6 . व्यवसाय और नौकरी से सम्बंधित संस्थान की दुरी भी रोजाना के पेट्रोल खर्च में वृद्धि कर सकती है . 

कुल मिला कर कहूँ तो एक पक्ष पेट्रोल की कीमतों में बढोतरी से जेब और शहरी विकास के धीमे होने की संभावनाए ज्यादा दिखाता है और दूसरा  पक्ष यह दर्शाता है की अब तक का हुआ शहरी विकास पेट्रोल की 9 रूपये लीटर पेट्रोल से 69 रूपये के सफ़र में शहरी विकास के बड़ते रहने की सम्भावनाये ज्यादा है .. बरहाल पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों का बोझ तो आम उपभोक्ताओ पर ही पड़ना है तथा सालान बजट में कटोती कही ना कही से होनी निश्चिन्त है .

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