कमल विहार

कमल विहार पर जो अभी विवाद आया है .. उस की कुछ शासकीय तकनिकी या विभागों के तालमेल में कुछ एक बिन्दुओ  पर तकनीकी खामियों की वजह से मिडिया में जो खबरे आरही है ... इस का समाधान तो जल्दी हो जायेगा मुझे ऐसा लगता है .
पर  मुद्दा ये है की किसान इस का विरोध क्योकर रहे है . जब की जिन लोगो की जमीन कमल विहार में आई है उन को उन की जमीनों की कीमत बहुत ज्यादा मिले है . अब तो खबरे ऐसे आई है की कमल विहार से जो भी लाभ प्राप्त होगा उस को भू - स्वामियों को बाट दिया जायेगा .. यह सच में कुछ ऐसा है तो अच्छी खबर है. 

यदि यह एक कारपोरेट प्रोजेक्ट रहता तो किसान ख़ुशी ख़ुशी आपनी जमीने दे देते क्योकि बाकी की जमीने कम्पनी मनमाने दामो पर खरीद लेती .सरकारी एक रेट फिक्स है बस तकलीफ यहाँ से आना चालू हो गई है की अब आसपास की जमीनों के भाव सरकारी कीमत से दस गुना ज्यादा हो गए है . इस लिए किसान अब विरोध करना चालू कर रहे है .इस में किसान कम और जमीन पर निवेश करने  वाले ज्यादा होंगे.

राजस्व विभाग का कुछ क़ानूनी  मसला तो आपने समझ से परे है !जो जल्दी ही हल हो  जायेगा हम तो यही आशा कर रहे है .
मुझे लगता है , की कमल विहार  की योजना में  जो विवाद है हो रहा है , उस का हल इसी विवाद में ही है .
RDA को ईस कमल विहार योजना के लिए प्रोपर्टी सेक्टर के सलाहकारों से भी सलाह लेनी चाहिए .
कुछ लोगो  से ईस बारे में सुझाव लेने चाहिए .
कुछ नए सलाहकार नियुक्त करना  चहिये 
और भी कुछ बाते है जो लिखी नहीं जा सकती पर समझदारो के द्वारा  सुलझाई जा सकती है ..


(  मै यह लेख जो लिखा है यह मेरी सोच है जो एक छोटी से कहानी की तरह है कृपया इसे वास्तविकता में न )

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